बच्चों के लिए दिशा- निर्देश

आज के बच्चे ही कल के नागरिक है। देश की उन्नति इन्हीं पर निर्भर करती है। अपने ज्ञान और विकसित मस्तिष्क द्वारा परिवार, समाज व राष्ट्र के समुन्नयन में सहायक हो सकते हैं। एक आदर्श विद्यार्थी ही अपने भावी जीवन में श्रेष्ठ एवं सफल नागरिक बनता है। अतः बच्चे निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें-

1. सत्रारम्भ में जुलाई के प्रथम तीन दिवसों में अपनी उपस्थिति दें, अन्यथा आपका नाम छात्र उपस्थिति पंजिका से हटा दिया जायेगा।
2. खाली आवर्त काल में कक्षा में शान्ति पूर्वक किसी भी सम्बन्धित विषय का अध्ययन करें। 3. विद्यार्थी हृदय में गुरुजनों के प्रति श्रद्धा एवं आदर का भाव रखें। 4. अध्यापकगण कक्षा में जो कुछ बतायें उसे एकाग्रचित हो सुनें और समझें।
5. छात्र-छात्राएं अध्यापक की अनुमति लेकर ही कक्षा से बाहर जायें।
6. प्रांगण पर धीरे-धीरे चलें दौड़ते हुए चलना निषिद्ध है।
7. सभी छात्र छात्राएं परस्पर भाई-बहन हैं। अतः बच्चे अपनी भावनाएं पवित्र रखें तथा अपनी चित्तवृत्तियों एवं इच्छाओं पर कड़ा नियन्त्रण रखें। अपने मन पर नियंत्रण न रखने वाला विद्यार्थी विद्योपार्जन नहीं कर सकता।
8. घर में माता पिता व बड़ों की सेवा व सम्मान करें, उनका कहना मानें।
9. माता-पिता की अनुमति बिना बाहर घूमने या खेलने भी न जायें।
10. प्रातः उठकर विद्यालय आने के समय माता-पिता एवं बड़ों के चरण स्पर्श करें। परम्परा के अनुसार अभिवादन करें।
11. अपना गृह कार्य नित्य पूरा करें।
12. विद्यालय के सभी नियम, अनुशासन छात्र के हित को ध्यान में रखकर ही बनाये गये हैं। अतः प्रत्येक विद्यार्थी उनका पालन पूरी श्रद्धा एवं सम्मान के साथ करें इनका उल्लंघन अनुशासनहीनता मानी जायेगी।

दैनन्दिनी (डायरी)

बच्चों के दैनिक पाठ्य विषयों के कक्षा कार्य एवं गृह कार्य संस्मरण हेतु गृह कार्य पुस्तिका की व्यवस्था है।
अतः अभिभावक इसका नियमित निरीक्षण करने के पश्चात् हस्ताक्षर करके विद्यालय का सहयोग करें। आप अपने सुझाव व शिकायतें भी डायरी के माध्यम से हम तक पहुंचा सकते हैं।

शुल्क सम्बन्धी निर्देश

प्रवेश के बाद प्रत्येक माह की 10, 15 व 20 तिथियां शुल्क जमा करने के लिए निर्धारित हैं। अतः अभिभावकों से अपेक्षा की जाती है कि उक्त तिथियों में शुल्क अवश्य जमा कर दें। इसके बाद दि० 25 को 5/- तथा 30 तक 10 रुपये विलम्ब दण्ड प्रति छात्र/छात्रा को देना अनिवार्य होता है। मास की | अन्तिम तिथि तक शुल्क न जमा होने की स्थिति में बच्चे का नाम पृथक कर दिया जाता है जिसकी पूरी जिम्मेदारी अभिभावक की होगी।

गणवेश

समस्त छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन विद्यालय द्वारा निर्धारित गणवेश में आना अनिवार्य है। पूर्ण गणवेश में विद्यालय न आने पर छात्र छात्राओं को विद्यालय परिसर में प्रवेश से वंचित कर दिया जायेगा। इसके लिए छात्र/छात्रा एवं अभिभावक जिम्मेदार होंगे। गणवेश का उल्लंघन अनुशासनहीनता मानी जायेगी।

अभिभावकों से अपेक्षाएं

शिक्षा की प्रक्रिया में शिक्षक, शिक्षार्थी और अभिभावक तीनों की मुख्य भूमिका होती है। प्रायः माता-पिता ही बच्चों के अभिभावक होते हैं। विद्वानों द्वारा माता को बच्चे की पहली शिक्षिका होने का गौरव दिया गया है। बालक के समुचित विकास एवं उत्तम शिक्षा के लिए अभिभावकों का सहयोग आवश्यक है। अतः विद्यालय की ओर से निम्नलिखित अपेक्षाएं की जा रही हैं :
1. बच्चों को सत्रारम्भ में पाठ्य व लेखन सामग्री के साथ प्रतिदिन विद्यालय भेजना।
2. छात्र-छात्रा द्वारा बुलावा पत्रक/प्रगति आख्या पत्रक दिए जाने पर विद्यालय आकर सम्पर्क करना।
3. यथा संभव माह में 1 बार विद्यालय आकर अपने बच्चों की आख्या लेना व सुझाव देना।
4. बच्चों के गृह कार्य की जानकारी करके पूरा करने में सहयोग करना।
5. निर्धारित तिथियों में शुल्क जमा करना।
6. विद्यालय लाने के लिए यथा सामर्थ्य बच्चों को सुपाच्य एवं पीष्टिक आहार उपलब्ध कराना।